बिखरते ख़्वाब

Dreams of childhood seldom realise, but it gives a strong base in later part of life to compare..and off course improve...

Mar 6, 2025 - 02:09
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बिखरते ख़्वाब
When ocean waves meet land

बचपन से यह ख़्वाब देखता था कि किसी ऐसी जगह जा कर रहूं जहां ऊंचे पर्वत हों, या अंतहीन सागर का किनारा। पर मिला क्या, मिला वही जो चाहता था पर रूप उनका कुछ और है। पर्वत मिला और ऊंचा भी मिला पर वह पर्वत घने जंगल से ढका नहीं था पर वह ऊंचे घमंड और घने अवसाद से ढका था। अंतहीन सागर तो मिला पर वह पानी की जगह जहर से भरा था। सोचता था जब कभी मन विचलित होगा तो ऊंचे पर्वत की तरफ निकल पड़ूंगा या सागर किनारे जा बैठूंगा। पर यहां तो शुकून की जगह अधमरे चेहरों के अलावा कुछ नहीं। किसी से रुककर बात करने से भी डर लगता है कि कहीं आवेश में आकर वह अपने कुंठा से अभिभूत हो अपने अंदर का सारा अवसाद न उगल डाले। डर गया हूं मैं। बस जब भी कभी लोगों के बीच जाता हूं तो सिर को झुकाए निरंतर चलता हुआ निकल जाता हूं। थोड़ी सी किसी की आहट भी चौकन्ना बना देती है। ऐसा जान पड़ता है कि कहीं अंत निकट तो नहीं। घुटन बढ़ती जा रही है। सीमाएं सिमटी जा रही है। देखें आगे क्या होता है। फिर सोचता हूं अगर नहीं भी रहा कल को तो किसे फ़र्क पड़ेगा। जैसे सब चल रहा है बस चलता रहेगा। मेरी क्या बिसात है इन सब में। ????

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Mukesh Gupta People judge me by their own interpretation or the way they perceive things and others, but the truth is I am a simple person in search of the Ultimate Truth or Absolute Truth.